आज दलित
समाज के सुविधा संपन्न, नौकरी पेशा और पढ़े लिखे वर्गों की सबसे बड़ी समस्या यह है
कि सत्ता को कैसे बरकरार रखा जा सकता है, इसका ना तो इनको अनुभव है, और ना ही इसकी
जानकारी है। यही इनकी सबसे बड़ी समस्या रही है। जिसकी वजह से दलित समाज के लोग ही बसपा
पर टिकट बेचने का गलत आरोप लगाते रहते हैं।
सुविख्यात
सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक व चिन्तक रजनीकान्त इन्द्रा कहते
हैं कि "बहुजन समाज में सामाजिक चेतना तो आयी हैं परन्तु विविधतापूर्ण देश सत्ता
कैसे हासिल की जाय, अपने एजेंडे को कैसे लागू किया जाय, अपनी सत्ता को बरक़रार कैसे
रखा जाय इसकी राजनैतिक समझ विकसित होना अभी बाकि हैं।"
आगे
रजनीकान्त इन्द्रा कहते हैं
कि "बहुजन समाज ने भारत की सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में अपनी सूझ-बूझ से
भारत में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका परम
आदरणीया बहनजी के कुशल नेतृत्व में राजनैतिक सत्ता हासिल कर ली परन्तु आम
बहुजन को सत्ता बरक़रार रखने, अपनी पार्टी के कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने, मीडिया
के षड्यंत्र को समझने की तकनीकी अभी विकसित हो रहीं। यहीं वजह हैं कि बहुजन समाज के
लोग राजनैतिक रणनीति व सामाजिक समीकरण को समझे बगैर अपने नेतृत्व परम आदरणीया बहनजी
पर ही कभी-कभी सवालिया निशान लगा देते हैं।"
इसकी
एक वजह और है। वह वजह यह है कि ऐसे लोगों को स्थानीय लेवल पर इनके मन मुताबिक इनका
अपना खुद का कार्य किसी कारण बस सिद्ध नहीं हो पाया है। ऐसे में इस सारे लोग बहुजन
समाज के हित का चोला ओढ़ कर बहुजन समाज पार्टी पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं।
यदि
तुलनात्मक अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि विधायक, संसद और पंचायती राज के टिकट बेचने,
यहां तक कि कारपोरेशन का सदस्य बनने तक के लिए भारत के अन्य दलों को सवर्ण करोड़ों
रुपए देते हैं, लेकिन वह सब लोग शासक वर्ग से आते हैं, और उन्हें यह अच्छी तरह मालूम
है कि सत्ता को बरकरार कैसे रखा जा सकता है।
इसलिए
शासक वर्ग के लोगों ने ब्राह्मणी दलों पर कभी आरोप नहीं लगाया कि ब्राह्मणी दल टिकट
बेचते हैं बल्कि शासक वर्ग के लोग अपने ब्राह्मणी दलों के पक्ष में हमेशा सहयोग राशि
देने की बात करते हैं। लेकिन बसपा में जो लोग हैं वह जब उनकी स्वार्थ सिद्धि नहीं होती
है तो वह बसपा को थोड़ी सी दी गई सहयोग राशि को ही बड़े पैमाने पर टिकट की कीमत के तौर
पर आम जनता के बीच में प्रचार करके लोगों को भ्रमित करते हैं।
रजनीकान्त इन्द्रा कहते
हैं कि “दलित समुदाय के लोग बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ झूठे मनगढ़ंत आरोप लगाकर जितना
दुष्प्रचार करते हैं, यदि दलित समाज के यही लोग बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ गलत आरोप
लगाने के बजाय अपनी उर्जा को बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों
को जन जन तक पहुंचाने का कार्य करें, तो यकीन मानिए सत्ता हमसे कतई भी दूर नहीं है।“
हमारा
स्पष्ट मानना है कि लोकतंत्र में कोई भी लगातार सत्ता में नहीं रह सकता है। राजनीति
में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन जिस तरह से दलित समाज के कुछ स्वार्थी चमचे किस्म
के लोग दलित समाज में ही अफवाह फैला रहे हैं, उससे वह न सिर्फ सामाजिक आंदोलन को रोक
रहे हैं बल्कि अपने स्वार्थ के तहत पूरे के पूरे समाज को तथा बहुजन महानायकों को धोखा
दे रहे हैं।
मान्यवर
कांशी राम साहब के भाषण में साहब ने कई बार कहा है कि जो लोग पार्टी को एक भी पैसा
नहीं दिए हैं वही लोग पार्टी पर भ्रष्टाचार आदि का आरोप लगाते हैं। यही वजह रही है
कि मान्यवर कांशी राम ने बामसेफ को किनारे कर दिया था।
आज जो
पढ़े-लिखे लोग बसपा और बहन जी पर झूठे आरोप लगा रहे हैं यह उसी पढ़े-लिखे तबके से आते
हैं जिन पढ़े-लिखे तबके के लोगों ने अपने आप को कांग्रेस के हाथों बेच कर बामसेफ का
रजिस्ट्रेशन करवा कर के बसपा की आर्थिक शक्ति को तोड़ने का प्रयास किया। इसके बाद मान्यवर
कांशी राम साहब समझ गए थे कि इन नौकरीपेशा और पढ़े लिखे लोगों से बहुत ज्यादा उम्मीद
नहीं की जा सकती है। इसकी वजह यह है कि यह लोग जितना काम नहीं करते हैं उससे ज्यादा
इनकी महत्वाकांक्षा पैदा हो जाती हैं। यह लोग जब तक अपनी सरकारी नौकरी में रहते हैं
तब तक इनको समाज की सुध नहीं आती है लेकिन जैसे ही यह रिटायर होने के करीब आते हैं
इनके अंदर देश सेवा की भावना जाग जाती है, और इसके बदले इनको सीधा मंत्रालय चाहिए।
बहन
जी पर टिकट बेचने का आरोप लगाने वाले स्वार्थी चमचे किस्म के लोगों को यह मालूम होना
चाहिए कि बहुजन समाज पार्टी ही पूरे देश में एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है जिसमें लगभग
60% युवाओं की सीधी भागीदारी है। यहां पर बहुजन समाज के लोगों को आज भी ना सिर्फ मुफ्त
में टिकट दिया जाता है बल्कि पार्टी की तरफ से उनकी आर्थिक मदद भी की जाती है। और जो
लोग खुद पार्टी फंड में सहयोग राशि देना चाहते हैं तो ऐसे लोग पार्टी फंड में सहयोग
राशि सिर्फ इसलिए देना चाहते हैं कि उन्हें टिकट मिल जाए तो यह आंदोलन के साथ सरासर
नाइंसाफी है।
बहुजन
समाज पार्टी एकमात्र पार्टी है जो आज भी मान्यवर कांशी राम साहब के मिशन के लोगों को
यदि विधानसभा और लोकसभा नहीं भेज पाती है तो उन्हें राज्यसभा और विधान परिषद जरूर भेजती
हैं। इसके साथ ही साथ जब बहुजन समाज पार्टी सत्ता में रही है तो उसने अपने सभी मिशन
में काम करने वाले लोगों को अलग-अलग आयोग के सदस्य और अध्यक्ष उपाध्यक्ष के तौर पर
पद आसीन कर बेहतर प्रशासन और समाज के संदर्भ में संवेदनशीलता से कार्य करते हुए कारवां
को आगे बढ़ाने का कार्य किया है।
फिलहाल
बहुजन समाज के हित का चोला ओढ़ कर बहुजन समाज को बेचने वाले लोगों से बहुजन युवाओं
को और बहुजन समाज के सच्चे हितैषियों को ठीक उसी प्रकार से सावधान रहना चाहिए जैसे
कि मान्यवर कांशीराम साहब सावधान रहा करते थे। और बाबा साहब स्वतंत्र लेबर पार्टी के
प्रचार प्रसार के दौरान अपनी हर सभा में ऐसे चमचा किस्म के लोगों के प्रति जागरूक किया
करते थे। आज यदि देखा जाए तो भारत में पिछड़े वर्ग की महानायिका बहन कुमारी मायावती
जी भी बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलते हुए बहुजन समाज के चमचों को ठीक उसी प्रकार से
किनारे लगाती हुई आगे बढ़ती जा रही हैं जैसे कि मान्यवर कांशीराम जी ने बहुजन समाज
के सारे चमचों को किनारे लगा करके बहुजन कारवां को आज की बुलंदी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण
कार्य किया है।
अमिता अम्बेडकर, वरिष्ठ युवा सक्रिय कार्यकर्ता, बसपा, लखनऊ