Saturday, May 29, 2021

बहुजनों में मुख्यता राजनैतिक समझ का आभाव हैं आरोप-प्रत्यरोप का कारण

आज दलित समाज के सुविधा संपन्न, नौकरी पेशा और पढ़े लिखे वर्गों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि सत्ता को कैसे बरकरार रखा जा सकता है, इसका ना तो इनको अनुभव है, और ना ही इसकी जानकारी है। यही इनकी सबसे बड़ी समस्या रही है। जिसकी वजह से दलित समाज के लोग ही बसपा पर टिकट बेचने का गलत आरोप लगाते रहते हैं।

सुविख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक व चिन्तक रजनीकान्त इन्द्रा कहते हैं कि "बहुजन समाज में सामाजिक चेतना तो आयी हैं परन्तु विविधतापूर्ण देश सत्ता कैसे हासिल की जाय, अपने एजेंडे को कैसे लागू किया जाय, अपनी सत्ता को बरक़रार कैसे रखा जाय इसकी राजनैतिक समझ विकसित होना अभी बाकि हैं।"

आगे रजनीकान्त इन्द्रा कहते हैं कि "बहुजन समाज ने भारत की सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में अपनी सूझ-बूझ से भारत में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका परम आदरणीया बहनजी के कुशल नेतृत्व में राजनैतिक सत्ता हासिल कर ली परन्तु आम बहुजन को सत्ता बरक़रार रखने, अपनी पार्टी के कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने, मीडिया के षड्यंत्र को समझने की तकनीकी अभी विकसित हो रहीं। यहीं वजह हैं कि बहुजन समाज के लोग राजनैतिक रणनीति व सामाजिक समीकरण को समझे बगैर अपने नेतृत्व परम आदरणीया बहनजी पर ही कभी-कभी सवालिया निशान लगा देते हैं।"

इसकी एक वजह और है। वह वजह यह है कि ऐसे लोगों को स्थानीय लेवल पर इनके मन मुताबिक इनका अपना खुद का कार्य किसी कारण बस सिद्ध नहीं हो पाया है। ऐसे में इस सारे लोग बहुजन समाज के हित का चोला ओढ़ कर बहुजन समाज पार्टी पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं।

यदि तुलनात्मक अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि विधायक, संसद और पंचायती राज के टिकट बेचने, यहां तक कि कारपोरेशन का सदस्य बनने तक के लिए भारत के अन्य दलों को सवर्ण करोड़ों रुपए देते हैं, लेकिन वह सब लोग शासक वर्ग से आते हैं, और उन्हें यह अच्छी तरह मालूम है कि सत्ता को बरकरार कैसे रखा जा सकता है।

इसलिए शासक वर्ग के लोगों ने ब्राह्मणी दलों पर कभी आरोप नहीं लगाया कि ब्राह्मणी दल टिकट बेचते हैं बल्कि शासक वर्ग के लोग अपने ब्राह्मणी दलों के पक्ष में हमेशा सहयोग राशि देने की बात करते हैं। लेकिन बसपा में जो लोग हैं वह जब उनकी स्वार्थ सिद्धि नहीं होती है तो वह बसपा को थोड़ी सी दी गई सहयोग राशि को ही बड़े पैमाने पर टिकट की कीमत के तौर पर आम जनता के बीच में प्रचार करके लोगों को भ्रमित करते हैं।

रजनीकान्त इन्द्रा कहते हैं कि “दलित समुदाय के लोग बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ झूठे मनगढ़ंत आरोप लगाकर जितना दुष्प्रचार करते हैं, यदि दलित समाज के यही लोग बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ गलत आरोप लगाने के बजाय अपनी उर्जा को बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों को जन जन तक पहुंचाने का कार्य करें, तो यकीन मानिए सत्ता हमसे कतई भी दूर नहीं है।“

हमारा स्पष्ट मानना है कि लोकतंत्र में कोई भी लगातार सत्ता में नहीं रह सकता है। राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन जिस तरह से दलित समाज के कुछ स्वार्थी चमचे किस्म के लोग दलित समाज में ही अफवाह फैला रहे हैं, उससे वह न सिर्फ सामाजिक आंदोलन को रोक रहे हैं बल्कि अपने स्वार्थ के तहत पूरे के पूरे समाज को तथा बहुजन महानायकों को धोखा दे रहे हैं।

मान्यवर कांशी राम साहब के भाषण में साहब ने कई बार कहा है कि जो लोग पार्टी को एक भी पैसा नहीं दिए हैं वही लोग पार्टी पर भ्रष्टाचार आदि का आरोप लगाते हैं। यही वजह रही है कि मान्यवर कांशी राम ने बामसेफ को किनारे कर दिया था।

आज जो पढ़े-लिखे लोग बसपा और बहन जी पर झूठे आरोप लगा रहे हैं यह उसी पढ़े-लिखे तबके से आते हैं जिन पढ़े-लिखे तबके के लोगों ने अपने आप को कांग्रेस के हाथों बेच कर बामसेफ का रजिस्ट्रेशन करवा कर के बसपा की आर्थिक शक्ति को तोड़ने का प्रयास किया। इसके बाद मान्यवर कांशी राम साहब समझ गए थे कि इन नौकरीपेशा और पढ़े लिखे लोगों से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है। इसकी वजह यह है कि यह लोग जितना काम नहीं करते हैं उससे ज्यादा इनकी महत्वाकांक्षा पैदा हो जाती हैं। यह लोग जब तक अपनी सरकारी नौकरी में रहते हैं तब तक इनको समाज की सुध नहीं आती है लेकिन जैसे ही यह रिटायर होने के करीब आते हैं इनके अंदर देश सेवा की भावना जाग जाती है, और इसके बदले इनको सीधा मंत्रालय चाहिए।

बहन जी पर टिकट बेचने का आरोप लगाने वाले स्वार्थी चमचे किस्म के लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि बहुजन समाज पार्टी ही पूरे देश में एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है जिसमें लगभग 60% युवाओं की सीधी भागीदारी है। यहां पर बहुजन समाज के लोगों को आज भी ना सिर्फ मुफ्त में टिकट दिया जाता है बल्कि पार्टी की तरफ से उनकी आर्थिक मदद भी की जाती है। और जो लोग खुद पार्टी फंड में सहयोग राशि देना चाहते हैं तो ऐसे लोग पार्टी फंड में सहयोग राशि सिर्फ इसलिए देना चाहते हैं कि उन्हें टिकट मिल जाए तो यह आंदोलन के साथ सरासर नाइंसाफी है।

बहुजन समाज पार्टी एकमात्र पार्टी है जो आज भी मान्यवर कांशी राम साहब के मिशन के लोगों को यदि विधानसभा और लोकसभा नहीं भेज पाती है तो उन्हें राज्यसभा और विधान परिषद जरूर भेजती हैं। इसके साथ ही साथ जब बहुजन समाज पार्टी सत्ता में रही है तो उसने अपने सभी मिशन में काम करने वाले लोगों को अलग-अलग आयोग के सदस्य और अध्यक्ष उपाध्यक्ष के तौर पर पद आसीन कर बेहतर प्रशासन और समाज के संदर्भ में संवेदनशीलता से कार्य करते हुए कारवां को आगे बढ़ाने का कार्य किया है।

फिलहाल बहुजन समाज के हित का चोला ओढ़ कर बहुजन समाज को बेचने वाले लोगों से बहुजन युवाओं को और बहुजन समाज के सच्चे हितैषियों को ठीक उसी प्रकार से सावधान रहना चाहिए जैसे कि मान्यवर कांशीराम साहब सावधान रहा करते थे। और बाबा साहब स्वतंत्र लेबर पार्टी के प्रचार प्रसार के दौरान अपनी हर सभा में ऐसे चमचा किस्म के लोगों के प्रति जागरूक किया करते थे। आज यदि देखा जाए तो भारत में पिछड़े वर्ग की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी भी बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलते हुए बहुजन समाज के चमचों को ठीक उसी प्रकार से किनारे लगाती हुई आगे बढ़ती जा रही हैं जैसे कि मान्यवर कांशीराम जी ने बहुजन समाज के सारे चमचों को किनारे लगा करके बहुजन कारवां को आज की बुलंदी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।

अमिता अम्बेडकर, वरिष्ठ युवा सक्रिय कार्यकर्ता, बसपा, लखनऊ

Saturday, April 10, 2021

माया, मान्यवर व अम्बेडकर माह - २१वीं सदी के २१वें वर्ष की ऐतिहासिक पहल

माया, मान्यवर व अम्बेडकर माह

२१वीं सदी के २१वें वर्ष की ऐतिहासिक पहल

 

युवा सामाजिक चिन्तक रजनीकान्त इन्द्रा जी कहते हैं कि “आज बहुजन समाज का युवा अपने महानायकों-महानयिकाओं के संघर्षों, गौरवगाथाओं, संदेशों, उनके विचारों और कालजयी कार्यों को चर्चा व विमर्श के केंद्र में स्थापित करने के बजाय अपनी ऊर्जा और बहुमूल्य समय विरोधियों व उनकी विषमतावादी संस्कृति को कोसने में लगा रहा हैं। इसको लगता हैं कि अपने सांस्कृतिक-राजनैतिक-आर्थिक-सामाजिक विरोधियों व उनकी संस्कृति को लगातार कोसते रहना ही  बुद्ध-फुले-अम्बेडकर-काशीराम और बहन जी का मिशन हैं।“

मिशन से भटकते समतावादी सोच रखने वाले युवाओं को मिशन की पटरी पर वापस लाने, महानायकों-महानयिकाओं के संघर्षों, गौरवगाथाओं, संदेशों और उनके विचारों को जन-मानस, खासकर मिशन से भटकती युवा पीढ़ी, तक सही तरीके से पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध युवा सामाजिक चिन्तक रजनीकान्त इन्द्रा जी ने २१वीं सदी के २१वें वर्ष में बेहतरीन शुरुआत करते हुए जनवरी महीने को माया माह, मार्च महीने को मान्यवर माह और अप्रैल महीने को अम्बेडकर माह के तौर पर सेलिब्रेट करने की पहल हैं। 

परम आदरणीया बहन जी का जन्म जनवरी माह में हुए था, इसलिए रजनीकान्त इन्द्रा जी ने बहन जी के संघर्षों, गौरवगाथाओं, उनके संदेशों व कालजयी कार्यों को जन-जन तक पहुंचने के लिए माया माह की ऐतिहासिक शुरुआत की। 

रजनीकान्त इन्द्रा जी 31 जनवरी 2021 को देश के नाम लिखे सन्देश में स्पष्ट कहते हैं कि "माया माह शुरू करने के पीछे हमारा उद्देश्य बुद्ध-कबीर-रैदास-घासी-नानक-फुले-शाहू-पेरियार-अम्बेडकर और मान्यवर काशीराम साहेब के बाद बहुजन आन्दोलन और इसकी विचारधारा की कुशल वाहक परम आदरणीया बहन कुमारी मायावती जी के सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की नीति के तहत किया गए ऐतिहासिक कार्यों को जन-जन तक पहुँचाना तथा बहुजन आन्दोलन में बहन जी के कालजयी योगदान को याद करना हैं, ताकि बहुजन आन्दोलन और इतिहास की कड़िया जुड़ती रहें, समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्षरत बहुजन आन्दोलन को धार मिलती रहें।"

        रजनीकान्त इन्द्रा के इस ऐतिहासिक कार्य से प्रभावित होकर ३ जनवरी २०२१ को विश्वविख्यात समाजविज्ञानी प्रो विवेक कुमार, जेएनयू, रजनीकान्त इन्द्रा को लिखते हैं कि "माया माह कार्यक्रम अत्यंत गम्भीर एवं आन्दोलनत्मक सोच का परिणाम लगता हैं। मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास हैं कि इससे बहुजन सोच व विचारधारा को विस्तार मिलेगा। आपकी कल्पनाशीलता को सलाम। आपको बहुत-बहुत साधुवाद।"

रजनीकान्त इन्द्रा जी प्रो विवेक कुमार का आभार व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि

"जी बिलकुल सर,

इस कार्यक्रम की शुरुआत इसी मंशा से किया गया हैं कि बहुजन आन्दोलन की कड़िया जुड़ती रहे, निरन्तरता बरक़रार रहे, समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्षरत बहुजन आन्दोलन को धार मिलती रहे। सर, अभी शुरुआत हैं ,उम्मीद करते हैं कि लोग धीरे-धीरे जुड़ेगें, और अगले वर्ष बड़े पैमाने पर लोग माया माह को सेलिब्रेट करेगें। फिलहाल, आपके मार्गदर्शन में ही हम सबने सीखा हैं, आपका मार्गदर्शन मिलता रहे, यहीं कामना करते हैं। शुक्रिया सर जय भीम नामों बुद्धाय"  

माया माह की सफलता के बाद मांर्च महीने में जन्मे भारत लोकतन्त्र के महानायक मण्डल मसीहा मान्यवर काशीराम साहेब के कार्यों, संघर्षों, गौरवगाथाओं, संदेशों व विचारों को जन-जन तक पहुंचने के लिए मार्च महीने को मान्यवर माह के तौर पर सेलिब्रेट करने की पहल की। ख़ुशी की बात हैं बहुजन समाज के लोगों ने इसमें पूरी सक्रियता से भागीदारी देते हुए मान्यवर माह को सेलिब्रेट किया। जिसका जिक्र रजनीकान्त इन्द्रा जी ने 28 फरवरी 2021 को देश के नाम लिखे पत्र में किया हैं। 

                            रजनीकान्त इन्द्रा जी द्वारा की गयी इस पहल को ऐतिहासिक और शैक्षणिक करार करते हुए विश्वविख्यात समाज विज्ञानी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो विवेक कुमार अम्बेडकर माह के पहले दिन यानि कि 01 अप्रैल 2021 को रजनीकान्त इन्द्रा के लिए लिखी टिपण्णी में कहते हैं कि "बहुत बहुत साधुवाद आपके इस ऐतिहासिक एवं शैक्षिणिक प्रयास का। मान्यवर के आंदोलन को आपने अत्यन्त सरल तरीके से समझा दिया है। अब जिम्मेदारी समाज की है कि इसे समझ कर आगे बढ़ाये। आप की सोच एवं जज्बे की तरह के हमारे पास और भी युवा होने चाहिए। आपके भविष्य के लिए मंगल कामनाएं।"

रजनीकान्त इन्द्रा जी प्रो विवेक कुमार के समर्थन लिए आभार व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि

“आदरणीय प्रो विवेक कुमार सर,

हम भाई-बहनों ने सब कुछ आपसे ही सीखा हैं। आप हमारे गुरु हैं। माया माह, मान्यवर माह, अम्बेडकर माह और दीक्षा माह (अक्टूबर) की बुनियाद में आप हैं। इसलिए साधुवाद के असली पात्र आप हैं।
हम लोग तो बहुजन महानायकों-महानयिकाओं के जीवन संघर्षों व संदेशों, विचारों को आपसे सीख कर कड़ी से कड़ी जोड़कर बहुजन आन्दोलन को आगे बढ़ाने में अपना यथासंभव सहयोग कर रहे हैं।

सर,
आप के सहयोग, समर्थन, दिशानिर्देश, मार्गदर्शन के लिए आभार और हौसला-आफजाई के लिए साधुवाद संग अम्बेडकर माह-२०२१ की हार्दिक बधाई।
जय भीम सर”

                          रजनीकान्त इन्द्रा के इस कालजयी शुरुआत की महत्ता के संदर्भ में बोधिसत्व बाबासाहेब टुडे, मासिक पत्रिका,लखनऊ, के सहसंपादक वी आर अम्बेड़कर लिखते हैं कि –

"बहुत खूब, आपका अध्ययन और प्रस्तुतीकरण काबिले तारीफ़ है। निःसन्देह नई पीढ़ी को ये सन्देश प्रेरणा प्रदान करेंगे। मैं आपकी समयबद्ध मेहनत और मान्यवर कांशीराम साहब की विचारधारा के प्रति समर्पण को सैल्यूट करता हूँ।"

रजनीकान्त इन्द्रा जी ने 31 जनवरी व 31 मार्च 2021 को देश के नाम लिखे पत्र में २१वीं सदी के २१वें वर्ष ऐतिहासिक और शैक्षणिक शुरुआत के तौर पर माया माह और मान्यवर मान्यवर को जन-जन तक पहुँचने में अहम् भूमिका निभाने वाले लोगों को आभार व्यक्त किया हैं, जिसमे माननीय हेमन्त पोयम जी, प्रदेश अध्यक्ष, बसपा छत्तीसगढ़, इंजीनियर दीपशिखा इन्द्रा, बसपा के विधान परिषद् सदस्य माननीय भीमराव अम्बेडकर जी, गोंदिया (महाराष्ट्र) के जिलाध्यक्ष विलास बौद्ध जी, लखनऊ विश्वविद्यालय से लॉ की पढाई कर रहे शैलजाकान्त इन्द्रा व चंद्रशिखा इन्द्रा, पर्यावरण विज्ञानं में स्नातक और डॉ आर एम एल विश्वविद्यालय फैज़ाबाद से बीएससी नर्सिंग की पढाई कर रहीं ज्योतिशिखा इन्द्रा, बसपा के नेता व इलाहबाद मण्डल के सेक्टर प्रभारी दीपचन्द गौतम जी, भदोई के बसपा जिलाध्यक्ष कमला शंकर भारती जी, इंजिनियर संदीप अम्बेडकर, इंजिनियर अनिल भारती, ओबीसी समाज के जाबांज अम्बेडकरवादी रमेश कुमार वर्मा, इंजिनियर सोनू वालिया, इलाहबाद में पढाई कर रहे सूरज देव, बहन जी द्वारा बनाये गए आंबेडकर नगर जिले के खेंवार गांव के निवासी सचिन कुमार संग सभी युवा बहुजन साथियों ने अहम् भूमिका निभाई हैं। 

हमारे विचार से, रजनीकान्त इन्द्रा का यह ऐतिहासिक, शैक्षणिक एवं प्रेरणादायी कार्य को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इन्द्रा जी ने माया माह, मान्यवर माह और अम्बेडकर माह को शुरू करते हुए हर रोज बहुजन महानायकों-महानयिकाओं के जीवन संघर्षों, उनके संदेशों से सकल बहुजन समाज को रूबरू करते हुए देश की नयी पीढ़ी के बीच एक नई चर्चा छेड़ दिया हैं, विमर्श के केंद्र में ला दिया। आपका परिश्रम बहुजन आन्दोलन के लिए बहुत ही लाभकारी व नयी पीढ़ी के लिए शिक्षा व प्रेरणास्रोत का कार्य करेगी, ऐसा हमें पूरा विश्वास हैं। 

साथ ही हम, रजनीकान्त इन्द्रा की अगली ऐतिहासिक, शैक्षणिक एवं प्रेरणादायी पहल अम्बेकर माह के सन्देशों को जन-जन, खासकर युवाओं, तक पहुंचाकर बुद्ध-फुले-अम्बेडकरी मिशन को मजबूत करने में आप सब से सहयोग व समर्थन की अपील करती हूँ। साथ ही, आप सब को अम्बेडकर माह की हार्दिक शुभकामनये। 

जय भीम, जय भारत नमों, बुद्धाय 

अमिता अम्बेडकर, बहुजन समाज पार्टी लखनऊ

Sunday, January 17, 2021

अमिता अम्बेडकर के द्वारा जनता के हित की बात।

सरकार को एक विधेयक यह भी लाना चाहिए कि किसी भी सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल में कोई भी मरीज यदि मर जाता है तो उसका सारा बिल माफ़ किया जाना चाहिए।

इस बात से फायदा यह होगा कि,

        डॉ० मरीज को जिन्दा रखने की पूरी कोशिश करेगा और यदि डॉ० की पूरी कोशिश करने के बाद मरीज मर भी गया, तो अनावश्यक रूप से वेंटिलेटर या अन्य तरीके से उससे पैसे बनाने का नाटक कोई भी प्राइवेट हॉस्पिटल नही करेगा।


Sunday, July 19, 2020

अमिता अम्बेडकर की विजेता टीम

अमर उजाला, रविवार, नवंबर ०१, २००९, रायबरेली, लखनऊ